वैली ऑफ वर्ड्स इंटरनेशनल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल….लेखक मृणाल पांडे की पुस्तक पर चर्चा
वैली ऑफ वर्ड्स इंटरनेशनल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल के सातवें संस्करण शब्दावली का रविवार को समापन हो गया। दो दिवसीय फेस्टिवल के आखिरी दिन वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने अपनी पुस्तक द जर्नी ऑफ हिंदी लैंग्वेज जर्नलिज्म इन इंडिया पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, हिंदी भाषा की उम्र भले ही हिमालय की तरह कम है, लेकिन यह भाषा हिमालय की तरह एक बड़े हिस्से को सींचती है। कहा, कोई भी भाषा या साहित्य अपने आसपास के समाज से ही निकलती है।
राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित हुए फेस्टिवल में वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने अपनी पुस्तक पर वरिष्ठ पत्रकार संजय अभिज्ञान व पूर्व मुख्य सचिव इंदु पांडे के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा, हिंदी के लिए पाठक संख्या एक और समस्या थी। 1947 में जब भारत आजाद हुआ, बहुत कम लोग साक्षर थे। 1980 के दशक के बाद से हिंदी पट्टी में जनसांख्यिकीय परिवर्तन और साक्षरता में वृद्धि ने हिंदी समाचार पत्रों के लिए बाजार को व्यापक बना दिया।
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार संजय अभिज्ञान ने कहा, यह पुस्तक हिंदी पत्रकारिता की दशा और दिशा को बयां करती है। इस पुस्तक के हर पेज में नया तथ्य पढ़ने को मिलता है, जो चौकाने वाला है। पत्रकारिता से जुड़े लोगों के अलावा भी अन्य लोगों को इस पुस्तक को पढ़ना चाहिए।
युवाओं को साहित्य से जोड़ना बहुत जरूरी